बिहार में सियासी हलचल के बीच, ‘जन सुराज युवा संघर्ष यात्रा’ एक नई सोच और बदलाव की दिशा में बड़ा कदम है। इस यात्रा की अगुवाई कर रहे आनंद मिश्रा ने हाल ही में अपने संबोधन में बताया कि यह सिर्फ एक राजनीतिक आंदोलन नहीं, बल्कि एक सामाजिक परिवर्तन की शुरुआत है।
मुद्दा सरकार नहीं, भविष्य है!
आनंद मिश्रा ने स्पष्ट कहा कि अब सवाल यह नहीं है कि सरकार कौन बनाएगा या मुख्यमंत्री कौन बनेगा, बल्कि असली सवाल यह है कि बिहार का भविष्य कौन बनाएगा? यह यात्रा बिहार के हर वर्ग—युवा, किसान, महिलाएं, बुजुर्ग—के मुद्दों को लेकर निकली है।
वोट अब मुद्दों पर होगा
उन्होंने कहा, “अबकी बार वोट:
- जात-पात पर नहीं होगा,
- मुर्गा-भात पर नहीं होगा,
- पैसे और लालच पर नहीं होगा,
- मंदिर-मस्जिद के नाम पर नहीं होगा।”
बल्कि अबकी बार का वोट:
- हमारे बच्चों के भविष्य के लिए होगा,
- प्रवासी युवाओं के लिए होगा,
- महिलाओं के सम्मान के लिए होगा,
- बुजुर्गों के स्वाभिमान और किसानों की मजबूती के लिए होगा।
बाढ़ और पलायन जैसे असली मुद्दों पर फोकस
यात्रा का मकसद सिर्फ लोगों से संवाद करना नहीं है, बल्कि बाढ़ जैसी आपदाओं से कैसे निपटा जाए, युवाओं को रोजगार कैसे मिले, और कैसे बिहार को पलायन से मुक्ति दिलाई जाए—इन मुद्दों को लेकर जनता से सीधा जुड़ना है।
जन सुराज: जनता से जुड़ी राजनीति
आज के दौर में जब अधिकतर राजनीतिक दल सिर्फ चुनावी रणनीतियों में उलझे हैं, जन सुराज एकमात्र ऐसा प्रयास है जो जमीन से जुड़कर, लोगों की बात सुनकर, उन्हीं मुद्दों के आधार पर राजनीति करना चाहता है।
निष्कर्ष
जन सुराज युवा संघर्ष यात्रा कोई आम बाइक यात्रा नहीं है। यह बिहार के बदलाव की एक चेतना है, जो हर गांव, हर गली में जाकर लोगों को जगाने का काम कर रही है। आनंद मिश्रा का यह संदेश हर बिहारी को यह सोचने पर मजबूर करता है कि वोट केवल अधिकार नहीं, बल्कि बदलाव का एक हथियार है।
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